महँगा सौदा
कारण तो कुछ भी नहीं खुश है पर आज मन. बैठता जब सोचने आता है याद आज घटी नहीं कोई दुर्घटना नींद में भी आया नहीं कोई दु:स्वप्न. जानता हूँ ऐसा तो था नहीं हमेशा से घोर अभावों में भी मिलती थी नींद भरपूर कभी. दूर अब अभाव सारे कर लिये सुविधाएँ हासिल सब हो गईं लेकिन जो पास था सुकून तब दूर वही हो गया जाना पड़ता है अब हँसने को लाफ्टर क्लब आती नहीं नींद गोलियों से भी तरक्की तो हो रही है रोज-रोज तेजी से भागता मैं जा रहा छूटता ही जा रहा पर सुख-चैन पीछे. सोचता हूँ कभी-कभी सौदा महँगा तो नहीं!