बाधा दौड़
माना कि दौड़ बहुत कठिन है पर नहीं चाहता हटा दी जाएं रास्ते की बाधाएं नहीं चाहता कोई शार्टकट सारी कठिनाइयों के साथ ही पूरी करना चाहता हूं दौड़ रास नहीं आयेगा सीधा सपाट जीवन मौत की कगार पर ही मजा मुझे आता है चलने में
नमस्कार, एकाकी ही चलता रहा पिछले 30 वर्षों से, काव्य पथ की यात्रा पर । 1990 से कविताएं लिखना शुरू करने के बाद, कभी जरूरत ही महसूस नहीं हुई छपने-छपाने की; स्वांतः सुखाय ही लिखता रहा । हालांकि इस बीच भाई पुष्पेंद्र फाल्गुन के सौजन्य से वर्ष 2012 में कविता संग्रह 'मां के लिये ' छप कर आया । अब लगता है कि लोगों के साथ अपनी भावनाएं साझा करनी चाहिए । अस्तु रोज जो कविताएं लिखूंगा, वे आप को इस ब्लॉग पर पढ़ने को मिलेंगी और कभी-कभार समय मिलने पर पुरानी कविताएं भी--- 9922427714