सफेदपोश हत्यारे

जब एक दुर्दांत अपराधी को
खुलेआम मार डालें
सफेदपोश हत्यारे
तो समझ नहीं पाता
कि किससे ज्यादा डरूं!
अपराधी से तो फिर भी बच सकता हूं
कि नहीं ओढ़ रखी है उसने कोई खाल
पर सफेदपोश हत्यारों से बचकर
कहां जाऊं भला
जब सर्वोच्च पदों पर विराजमान हों वे
और रखवाली में भी तैनात हों वही!
नाज था मुझे अपने लोकतंत्र पर
कि निजात मिली थी अत्याचारों से
राजों-महाराजों-जमींदारों के
पर रूप बदल आये हैैं वे
लोकतंत्र की खाल ओढ़कर
फिर आ गए हैैं डराने
और समझ नहीं पा रहा मैं
कहां जाऊं भाग कर अब
इन सफेदपोशों से।

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