गणतंत्र दिवस
आकर्षित करता है मुझको गणतंत्र दिवस इच्छा होती है खुद को बांधूं नियम-कायदों के भीतर गढ़ पाऊं अपनी खातिर ऐसा संविधान जिसके नियमों का उल्लंघन यदि करूं सजा पा जाऊं खुद अपने द्वारा। इसलिये मनाता हूं यह दिन हर साल इसी आशा में हो पाऊंगा सफल कभी न कभी खुद को रखने में अनुशासित कुछ दूर जरा खुद से हटकर निष्पक्ष दृष्टि से देख सकूंगा कहीं कभी कर बैठा तो अन्याय नहीं! बस यही लक्ष्य मन में रखकर हर साल मना गणतंत्र दिवस यह याद दिलाता हूं खुद को इक दिन तो ऐसा आयेगा जब खुद की खातिर गढ़े गये नियमों पर मैं चल पाऊंगा! रचनाकाल : 26 जनवरी 2023