जुआ


कोसता रह गया मैं युधिष्ठिर को ही
मेरे साथी जुआरी सभी बन गये
शेयर बाजार में रोज पैसा लगाकर
मुनाफा कमाने की कोशिश ही धंधा गजब बन गया
दे के सरकार को टैक्स अपराध के बोध से बच गये
पर मैं समझाऊं कैसे उन्हें
कुछ नहीं और बस यह जुए का ही तो दूसरा नाम है!
है अजब त्रासदी हो गया हूं अकेला निपट
चल रही सारी दुनिया ही सेंसेक्स की चाल से
फिर मैं रोकूं उन्हें किस तरह ढूंढ़ते हैैं जो उसमें ही आजीविका?
आइने की तरह साफ दिखता है मुझको गलत है ये सब
पर नहीं कुछ भी कर पा रहा हो के असहाय बस देखने के सिवा
भूल कर पुरखों की करना आलोचना, कर रहा प्रार्थना
माफ भगवान करना हमें, दाग इतिहास में बन के ही रह गये!
रचनाकाल : 12-14 जनवरी 2022

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