सम्मान
जब भी होता सम्मान
स्नेह के बोझ तले दब जाता हूं
कोशिश करता हूं चुका सकूं
यह कर्ज जल्द से जल्द
मुझे हकदार मान जो दिया गया सम्मान
उसे करके समाज की सेवा ज्यादा से ज्यादा
मय ब्याज अदा कर शीघ्र उऋण हो सकूं
इसी चिंता में दिन भर रहता हूं।
सम्मान बढ़ा देते हैं जिम्मेदारी
डर भी लगता है आ जाय नहीं अभिमान
कि जो असली कद है उसके बजाय
अपनी विशाल प्रतिमाओं को ही
समझ न बैठूं असली
खिसक न जाय जमीन कहीं पैरों के नीचे की
उड़ने न लगूं मैं कहीं हवा में
इसीलिये सम्मानों से
बचने की कोशिश करता हूं
फिर भी जब जबरन मिलता है
जी-जान लगाकर खुद को ज्यादा से ज्यादा
निर्मल करने लग जाता हूं
सूरज की किरणों को जैसे
दर्पण करता प्रत्यावर्तित
कर सकूं उसी के जैसा ही मैं भी अर्पित
सम्मान उसी जन-मानस को
जो मुझको देता है समाज
रह जाय नहीं कुछ शेष
सिवा कर्मों के मेरे, पास मेरे।
रचनाकाल : 2-5 मार्च 2023
स्नेह के बोझ तले दब जाता हूं
कोशिश करता हूं चुका सकूं
यह कर्ज जल्द से जल्द
मुझे हकदार मान जो दिया गया सम्मान
उसे करके समाज की सेवा ज्यादा से ज्यादा
मय ब्याज अदा कर शीघ्र उऋण हो सकूं
इसी चिंता में दिन भर रहता हूं।
सम्मान बढ़ा देते हैं जिम्मेदारी
डर भी लगता है आ जाय नहीं अभिमान
कि जो असली कद है उसके बजाय
अपनी विशाल प्रतिमाओं को ही
समझ न बैठूं असली
खिसक न जाय जमीन कहीं पैरों के नीचे की
उड़ने न लगूं मैं कहीं हवा में
इसीलिये सम्मानों से
बचने की कोशिश करता हूं
फिर भी जब जबरन मिलता है
जी-जान लगाकर खुद को ज्यादा से ज्यादा
निर्मल करने लग जाता हूं
सूरज की किरणों को जैसे
दर्पण करता प्रत्यावर्तित
कर सकूं उसी के जैसा ही मैं भी अर्पित
सम्मान उसी जन-मानस को
जो मुझको देता है समाज
रह जाय नहीं कुछ शेष
सिवा कर्मों के मेरे, पास मेरे।
रचनाकाल : 2-5 मार्च 2023
बेहतरीन अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ७ अप्रैल २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
हार्दिक धन्यवाद
Deleteसमझने योग्य भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteसम्मान बढ़ा देते हैं जिम्मेदारी
ReplyDeleteडर भी लगता है आ जाय नहीं अभिमान
कि जो असली कद है उसके बजाय
अपनी विशाल प्रतिमाओं को ही
समझ न बैठूं असली
,अति उत्तम !!
वाह!!!!
बहुत-बहुत धन्यवाद
Deleteसम्मान उसी जन-मानस को
ReplyDeleteअप्रतिम
आभार
सादर
hardik dhanyavad yashoda jee
Deleteएक कविमन की विनम्र अभिव्यक्ति! सम्मान और स्नेह का मोल चुकाना सम्भव नहीं पर विनम्रता से कुछ प्रयास की एक उदार व्यक्ति ही सोच सकता है।
ReplyDeletebahut bahut dhanyavad renu jee
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