झूठ का मुलम्मा
जब मैं कहता हूं
कि झूठ नहीं बोल सकता
तो लोगों को लगता है
कि दुनिया का सबसे बड़ा झूठ यह
देखते वे संदिग्ध नजरों से।
सोचा तो था न कभी
चलना होगा कठिन इतना
सीधी-सरल राह पर
दुनिया के इतना विपरीत है यह
अलग-थलग पड़ जाता सबसे
रखता हूं अपनी सच्चाई को
छुपा करके सबसे
लीप-पोत लेता हूं ऊपर से
झूठ का मुलम्मा
कि समझें न लोग मुझे
पागल या पाखण्डी।
होती है घुटन इस मुलम्मे से
फेंकना पर चाहता हूं ज्योंही इसे
घेर लेते दुनिया के झूठे सब
चाहते हैैं मार देना
मेरी सच्चाई को
इसीलिये घबरा कर
छिपा लेता फिर से इसे
ओढ़ लेता झूठ का मुलम्मा
सोने पर कर लेता
पीतल की पालिश
Comments
Post a Comment