सहअस्तित्व



कहां गायब हो गया है जीवन का उल्लास
क्यों छाया है यह मरघट सा सन्नाटा
इतिहास में वर्णित हैं युगों पुरानी सभ्यताएं
क्या इसी तरह हुआ था उनका अंत?
कितना पीड़ादायक होता है
किसी सभ्यता को मरते हुए देखना
पर हकीकत यह है कि
गर्व करने लायक भी तो नहीं थे हम!
भविष्य में कभी जब लिखा जायेगा
हमारी सभ्यता का इतिहास
तो कौन सी उपलब्धियां होंगी हमारी
प्रकृति और मनुष्येतर जीवों के नाम पर?
क्या यह सच नहीं है कि
हमारा मरना ही सृष्टि के लिए कल्याणकारी है?
बेहद पीड़ादायक है यह सोचना
पर नहीं है इससे बचने का कोई उपाय
कामना बस यही है कि
जब कभी हो भविष्य में
नई सभ्यता की शुरुआत
तो न बन बैठे वह अपनी ही जन्मदात्री
प्रकृति की प्रतिद्वंद्वी
बल्कि सहअस्तित्व के साथ करे
समूची सृष्टि का विकास
रचनाकाल : 19 अप्रैल 2020

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