मेहनतकश
वे होंगे कोई और जिन्होंने
भोगी हैं सुख-सुविधाएं
मैंने तो किया है वरण सदा बाधाओं का
जो खून चूसकर धरती का
अपने आराम की खातिर ही
करते गये सब कुछ तबाह
मैं कभी नहीं था शामिल ऐसे लोगों में।
चलता ही रहा तपते पथ पर
करते ही रहे राहों के कांटे लहूलुहान
सींचा है इस धरती को मैंने सदैव
अपने ही खून पसीने से।
मैं कभी नहीं हूं हार मानने वालों में
डर लगता मुझको कभी नहीं
इस धरती मां के गुस्से से
मैं वरण मृत्यु का भी कर लूंगा खुशी-खुशी
अपनी इस मां के आंचल में
विश्वास मुझे है पूरा यह
वह कभी नहीं मरने देगी
मर कर भी देगी जनम मुझे वह बार-बार
पर रह न सकेगी अपनी ही संतान बिना
रचनाकाल : 21 अप्रैल 2020
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