लालच की आग, अपराध बढ़ाती गर्मी और आभासी दुनिया में जीते युवा
देश में एक तरफ जहां सूर्यदेव आग बरसा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ हम मनुष्यों की लापरवाही से लगने वाली आग भी कहर ढा रही है. नैनीताल के जंगलों में लगी आग की खबर अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि अपने फायदे के लिए दूसरों की जान से खेलने वालों के लालच की आग ने मासूम बच्चों सहित दर्जनों लोगों को लील लिया. आग चाहे राजकोट के गेम जोन में लगी हो(जिसमें बच्चों सहित दो दर्जन से अधिक लोग जिंदा जल गए) या दिल्ली के बेबी केयर सेंटर में भड़की हो(जिसने सात मांओं की कोख उजाड़ दी), प्रारम्भिक जांच बता रही है कि तबाही मानव निर्मित ही है. गेम जोन को जहां बिना जांच के ही एनओसी दे दी गई थी और फायर एनओसी तो थी ही नहीं, वहीं दिल्ली के बेबी केयर सेंटर में न आग बुझाने के लिए अग्निशामक यंत्र थे, न बच्चों की देखरेख के लिए योग्य डाॅक्टर. सेंटर का लाइसेंस भी मार्च 2024 में ही खत्म हो चुका था. कुछ ही दिन पहले हुए मुंबई के होर्डिंग हादसे में भी सैकड़ों लोगों की जान जाने के बाद पता चला कि वह अवैध था. ताज्जुब है कि इंसानी लालच की दहकती आग को देखने के बाद भी हमारे देश के कर्ता-धर्ता आगबबूला क्यों नहीं होते? आग तो समाज म...