अपने भीतर के रावण को मारने में मददगार किताबों का हथियार
एक ऐसे दौर में, जबकि दुनियाभर में लड़ाई-झगड़े, मार-काट, रेप-गैंगरेप जैसे अपराधों का बोलबाला दिखाई देता है, कुछ खबरें ऐसी भी हैं जो उम्मीद जगाती हैं. अब जैसे सोलापुर के कैलाश काटकर के अनोखे सैलून को ही लें, जहां कटिंग या शेविंग कराने के पहले ग्राहकों के लिए किसी किताब के कुछ पन्ने पढ़ना अनिवार्य है. कैलाश ने सैकड़ों किताबें अपने सैलून की अलमारियों में जमा कर रखी हैं और चाहते हैं कि अपनी बारी का इंतजार करने वाले ग्राहक मोबाइल देखने में समय नष्ट करने के बजाय किताब पढ़ें. अच्छी किताबों में यह क्षमता होती है कि यदि कोई दो-चार पृष्ठ भी पढ़ ले तो फिर बिना पूरी किताब पढ़े रह नहीं सकता. इसलिए नियमित ग्राहक उनकी दुकान से किताबें पढ़ने के लिए घर भी ले जाते हैं. इसी तरह तमिलनाडु के थूथुकड़ी में सैलून चलाने वाले पोन मरियप्पन ने भी अपने सैलून में मिनी लाइब्रेरी खोल रखी है. गरीबी की वजह से मरियप्पन खुद तो आठवीं क्लास से आगे की पढ़ाई नहीं कर सके, लेकिन पढ़ने की आदत बनी रही और उन्हें लगा कि क्यों न अपने सैलून में ही लाइब्रेरी बनाई जाए. उन्होंने भी अपने सैलून में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने पर बैन लगा...