कोमल और कठोर
देख नहीं पाता हूं
भीतर की अपने कमजोरियां
दूसरों को दीखतीं जो साफ-साफ
गढ़ लेता तर्क मन
अपने सारे कामों को
साबित कर लेता है तार्किक।
इसीलिये करता हूं कोशिश कि
दूसरों की नजरों से
देखा करूं स्वयं को
दूसरों को दीखतीं जो गलतियां
दूर करूं उनको निर्ममता से
दूसरों की दीखतीं जो गलतियां
देख सकूं उनको सहृदयता से
तर्क उनके पास है जो समझ सकूं।
रखकर सहानुभूति दूसरों से
प्रेरित कर सकता हूं दूर करें
अपनी वे गलतियां
अपने प्रति लेकिन कठोर हो
करता हूं दूर कमजोरियां
भीतर से कोमल जैसे
होता है नारियल
बाहर से सख्त होकर
खुद को बचाता है
बाहर से लाता मैं कोमलता
भीतर से सख्त होकर
खुद को तपाता हूं।
रचनाकाल : 29-31 जुलाई 2024
Comments
Post a Comment