खेती कर्मों की

जब समय बुरा आता है
अच्छे कर्मों का भी
फल तत्काल नहीं मिलता
घनघोर निराशा होती है
पर ऐसे ही मौकों पर
रखना धीरज देता काम
भले ही बीज नहीं उग पायें
लेकिन नहीं छोड़ता बोना
अपनी श्रद्धा रखता अडिग
कि चाहे समय लगे कितना भी
होंगे फलीभूत ही
अच्छे कर्म कभी न कभी।
लाता है यह विश्वास रंग
कट जाता है जब बुरा समय
उन दिनों बीज बोये थे जो कर्मों के
बंजर लगते थे
आते ही अच्छा समय
वही फलदार वृक्ष बन जाते हैं
छूते ही मिट्टी भी सोना बन जाती है
सब कहते हैं यह किस्मत है
पर मुझे पता है बुरे समय में
नहीं मिला था मुझको जो
यह उन कर्मों का ही फल है।
इसलिये समय हो अच्छा या फिर बुरा
बीज कर्मों का बोना
नहीं छोड़ता कभी
कि कुुछ पौधे जल्दी फल देते हैं
कुछ देते हैं वर्षों में
कुछ को बनने में फलदार मगर
कई सदियां भी लग जाती हैं
जो मिलता अगले जन्मों में
वह भी किस्मत का नहीं
हमारे कर्मों का फल होता है।
रचनाकाल : 3 अगस्त 2024


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