स्वतंत्रता और स्वच्छंदता
सिर पर न मेरे जब थीं जिम्मेदारियां
स्वच्छंदता को ही मैं समझता रहा स्वतंत्रता
देकर के नाम क्रांति का मचाई खूब अराजकता
भूमिका समय के साथ किंतु अब बदल गई
जिनके विरुद्ध क्रांति की, उन्हीं का स्थान ले लिया
विद्रोह जो भी करता बगावत का नाम देता हूं
नवयुवकों के आक्रोश को आवारागर्दी कहता हूं
पीढ़ियों से चल रहा संघर्ष यही पीढ़ियों में
कौन तय करे कि क्रांति है ये, या विद्रोह है?
रचनाकाल : 15 अगस्त 2024
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