सद्गुणों का सौंदर्य
फूलों का खिलना इतना अच्छा लगता है तोड़ना उन्हें तो दूर, पास से छूने में डर लगता है वे कहीं न आहत या फिर मैले हो जायें। उनके जैसा ही सुंदर पर, बनने की कोशिश करता हूं उनकी ही तरह जहां जाऊं बिखरे सुगंध मिलती है मुझे खुशी जितनी फूलों से उतनी ही लोगों को भी मुझसे खुशी मिले फूलों के जैसा ही बनने का मेरा भी मन करता है। जड़ मिट्टी में, मुझको आकर्षित करती है खुद रहकर भी गुमनाम चूमने की खातिर वह आसमान पेड़ों को पोषण देती है मैं भी उनकी ही तरह, दिखावा किये बिना मेहनत इतनी घनघोर चाहता हूं कि करूं पोषण मिल पाये सभी सद्गुणों को मेरे पेड़ों जैसे ही वे भी खूब फलें-फूलें। दुनिया में मुझको जो भी अच्छी चीज दिखाई पड़ती है मैं नहीं चाहता उसको मुझसे क्षति पहुंचे बस उसका गुण अपने भीतर लाने की कोशिश करता हूं कोई भी चाहे ताकि देखना दुनिया की सुंदरता को हम इंसानों को देखे तो कह सके समाई है दुनिया की सुंदरता इसमें सारी ईश्वर की सबसे मूल्यवान कृति है यह, सबसे सुंदर है! रचनाकाल : 3 अप्रैल 2025