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Showing posts from April, 2025

सद्‌गुणों का सौंदर्य

फूलों  का खिलना इतना अच्छा लगता है  तोड़ना उन्हें तो दूर, पास से छूने में डर लगता है  वे कहीं न आहत या फिर मैले हो जायें। उनके जैसा ही सुंदर पर, बनने की कोशिश करता हूं उनकी ही तरह जहां जाऊं बिखरे सुगंध मिलती है मुझे खुशी जितनी फूलों से उतनी ही लोगों को भी मुझसे खुशी मिले फूलों के जैसा ही बनने का मेरा भी मन करता है। जड़ मिट्टी में, मुझको आकर्षित करती है खुद रहकर भी गुमनाम चूमने की खातिर वह आसमान पेड़ों को पोषण देती है मैं भी उनकी ही तरह, दिखावा किये बिना मेहनत इतनी घनघोर चाहता हूं कि करूं पोषण मिल पाये सभी सद्‌गुणों को मेरे पेड़ों जैसे ही वे भी खूब फलें-फूलें। दुनिया में मुझको जो भी अच्छी  चीज दिखाई पड़ती है मैं नहीं चाहता उसको मुझसे क्षति पहुंचे  बस उसका गुण अपने भीतर लाने की कोशिश करता हूं कोई भी चाहे ताकि देखना दुनिया की सुंदरता को हम इंसानों को देखे तो कह सके समाई है दुनिया की सुंदरता इसमें सारी ईश्वर की सबसे मूल्यवान कृति है यह, सबसे सुंदर है! रचनाकाल : 3 अप्रैल 2025

अंधाधुंध दौड़ से बढ़ती यांत्रिकता और कुंद होती प्रतिभा

 वैसे तो बहुत सारी चीजें डमी होती हैं लेकिन क्या आपने कभी सुना कि स्कूल भी डमी होते हैं? और वह भी सीबीएसई से सम्बद्ध स्कूल! लेकिन सीबीएसई अर्थात केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की हालिया चेतावनी बताती है कि वे होते हैं और बोर्ड ने कहा है कि डमी स्कूलों में प्रवेश लेने वाले छात्रों को परीक्षा से वंचित किया जा सकता है. डमी अर्थात ऐसे स्कूल जहां छात्र प्रवेश तो लेते हैं लेकिन क्लास अटैंड नहीं करते. ऐसे स्कूलों का कोचिंग संस्थानों से टाय-अप होता है, जिससे स्कूलों को अपनी फीस मिल जाती है, और छात्रों को कोचिंग में पढ़ने के लिए पूरा समय. चूंकि सिलेबस एक ही होता है, इसलिए छात्र स्कूल गए बिना ही बारहवीं की परीक्षा भी पास कर लेते हैं. लेकिन आज के जमाने में, जब साध्य को ही सबकुछ माना जाता है, छात्रों द्वारा परीक्षा में अच्छे नंबर लाने के बावजूद सीबीएसई उन्हें ‘चेतावनी’ क्यों दे रहा है? एक और महत्वपूर्ण सवाल यह भी है कि छात्रों को कक्षा में आने के लिए ‘मजबूर’ करने के बजाय उन्हें इसके लिए ‘आकर्षित’ करना क्या ज्यादा सही तरीका नहीं होगा? सीबीएसई ने अपनी चेतावनी के कारणों का खुलासा भले न किया हो, ल...