सहज ज्ञान
हैरान रह गया मैं उस दिन
जब देखा पेड़ पपीते का घर के पीछे
ऊपर बढ़ने पर तिरछा होता जाता है
क्या उसे पता है ऊपर छत का छज्जा है?
जब तक था वह कमजोर
फूल खुद ही उसके झड़ जाते थे
मजबूत स्वयं को करके ही फलदार बना
क्या जीव चराचर दुनिया के सब
सहज ज्ञान में यूं पारंगत होते हैं!
कोई भी कल की चिंता करता नहीं
मनुष्येतर प्राणी सब सहज भाव से जीते हैं
होकर भी लेकर बुद्धिमान सबसे, क्यों हम
दुश्चिंताओं के चक्रव्यूह में घिरते हैं?
चर-अचर प्राणियो दुनिया के, हे मदद करो
हमको भी सहज भाव से जीने का वर दो
नुकसान तुम्हें पहुंचाया जो भी, करो क्षमा
हम इंसानों को भी खुद में शामिल कर लो!
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