हमें अपनी बेशुमार क्षमताओं का अहसास करा सकता है एआई !
ऐसे समय में, जबकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को लेकर दुनियाभर में संदेह के बादल छाए हुए हैं, इसके सदुपयोग का एक सुंदर उदाहरण पिछले दिनों देखने को मिला, जब इस पर आधारित मौसम मॉडल के जरिये हमारे देश में 38 लाख किसानों को मानसून से जुड़ी जानकारी दी गई. पारम्परिक सुपर कम्प्यूटर मॉडल के मुकाबले यह इतना सटीक था कि 30 दिन पहले ही इसने न केवल मानसूनी बारिश के आगमन का सही समय बताया, बल्कि बीच में 20 दिन बारिश रुकने की चेतावनी भी दी, जिसे पारम्परिक मॉडल पकड़ नहीं पाए थे. पुराने जमाने में यही काम समाज के बड़े-बुजुर्ग किया करते थे. अनुभवी आंखें मौसम की चाल को समय रहते भांप लिया करती थीं और उन्हीं की सलाह पर किसान तय करते थे कि ज्यादा पानी की जरूरत वाली धान जैसी फसल बोनी है या कम पानी में भी तैयार हो जाने वाले ज्वार, बाजरे जैसे मोटे अनाज. अतीत के अनुभवों के आधार पर भविष्य का अनुमान लगाना कदाचित ऐसी विशेषता है जो इस धरती पर सभी जीव-जंतुओं में पाई जाती है. भूकंप का सटीक अनुमान हमारी अत्याधुनिक मशीनें अभी तक भले न लगा पाई हों लेकिन कई जीव-जंतुओं में भूकंप आने के कुछ समय पहले ...