सादगी का सौंदर्य

तमस भगाने की खातिर 
रातों को मैंने दिन की तरह बना डाला
पर बिगड़ी सर्केडियन क्लॉक
दिनचर्या सबकी अस्त-व्यस्त हो गई
समझ में तब आया
रातों का गहन अंधेरा भी
जीवन के लिये जरूरी है
विश्राम इसी में जीव-जंतु सब पाते हैं।

इस दीप पर्व पर इसीलिये
मिट्टी के दीप जलाता हूं
जो जुगनू जैसी जगमग से
तन-मन आलोकित करते हैं
सुंदर चेहरे पर जैसे
काला तिल भी अच्छा लगता है
वैसे ही गहरी रातों में
नन्हें दीपक का जलना सुंदर लगता है।

(रचनाकाल : 18 अक्टूबर 2025)

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