विजयादशमी
युद्ध दुनिया में तो होते ही रहे हैं हरदम
मानते हैं सही खुद को सभी इस दुनिया में
राम ने किंतु जो वनवास के दु:ख-कष्ट सहे
राजमहलों से अचानक ही निकल कर वन में
छोड़कर सुख जो भटकते रहे जंगल-जंगल
याद आती है तो व्याकुल मुझे कर जाती है।
उन दिनों में भी क्या होती थी उम्रकैद यही
वर्ष चौदह की सजा तब भी मिला करती थी?
जब निरपराध कोई स्वेच्छा से इसे सहता है
आग में तप के वो भगवान बना करता है!
रचनाकाल : 1-2 अक्टूबर 2025
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