प्रकृति का दम घोंटते मनुष्य और मनुष्यों का दम घोंटता प्रदूषण
रिकॉर्डतोड़ प्रदूषण से इन दिनों दिल्ली का दम घुट रहा है. लोगों को बेवजह घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी जा रही है. लेकिन घर के भीतर रहकर क्या वे प्रदूषण से बच जाएंगे? इतना जरूर है कि बाहर निकलने की प्रक्रिया में वे जो और प्रदूषण फैलाते, पर्यावरण को उससे निजात मिल सकेगी. लोगों को वे दिन भूले नहीं होंगे जब कोरोनाकाल में लॉकडाउन के दौरान उन्हें मजबूरन अपने घरों में कैद रहना पड़ा तो प्रकृति में कितना निखार आ गया था! बेशक तेज रफ्तार वाहन आज हमारी तेज रफ्तार जिंदगी का अनिवार्य हिस्सा बन गए हैं, लेकिन आए दिन भारी ट्रैफिक जाम से बेहाल होने वाले दिल्ली जैसे शहरों की सड़कों पर क्या सचमुच इतनी तेज रफ्तार की जरूरत है कि हम चाहकर भी साइकिल जैसे पर्यावरण पूरक वाहनों से अपना दैनंदिन काम न निपटा सकें? साइकिल से चलने की कुछ अपनी दिक्कतें अवश्य हैं, लेकिन उन्हें दूर करना और साइकिलों के लिए अलग लेन बनाना क्या इतना कठिन है कि हम प्रदूषण से दम घुटने की नौबत आने पर भी ऐसा न कर सकें? आखिर बेल्जियम, नीदरलैंड, इटली, जर्मनी, ब्रिटेन जैसे यूरोपीय देश तो ऐसा उदाहरण पेश कर ही रहे हैं! दार्शनिक ल...