साधना


टूटता है बदन
होती है पीठ दर्द से दोहरी
फिर भी लिखता हूँ कविता।
उदास है मन
आसान नहीं लिखना
फिर भी लिखता हूँ
क्योंकि जरूरी है यह
जीने के लिये।
सूख सा गया है जीवन रस
कठिन हो गया बेहद
लिख पाना कविता
फिर भी लिखता जाता हूँ
बंजर जमीन में
बीज बोता जाता हूँ।

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