पीढ़ियों के बीच पुल
जब नहीं जानता था ज्यादा दुनियादारी
था नहीं आत्मविश्वास, बोलने में हकलाया करता था
पर धीरे-धीरे सीख लिया, पटु वक्ता भी बन गया
मगर महसूस हुआ, जो नहीं जानते हैं ज्यादा दुनियादारी
बातें करते मुझसे हकलाया करते हैं।
वे सहज बनें, पा सकें आत्मविश्वास
इसलिये बातें उनसे करता जब
थोड़ा हकलाया करता हूं
नादानी थोड़ी अपने भीतर लाकर यूं
नादानों में भी घुल-मिल जाया करता हूं।
रचनाकाल : 25 फरवरी-4 जून 2025
Comments
Post a Comment