आजादी का सदुपयोग

जब हो थकान से बोझिल तन
चिंता से भरा हुआ हो मन
तब निष्क्रियता छा जाने का डर लगता है
पर जब हो शक्ति अदम्य भरी तन-मन में
जीवन बीते जब निश्चिंत
समय तब व्यर्थ बीत जाने का
उससे भी ज्यादा भय लगता है
होती है कड़ी जरूरत तब महसूस
स्वयं पर नजर हमेशा रखने की
अनजाने में ही ताकि
न दुर्व्यसनों की आदत पड़ जाये।

जब देश नहीं आजाद हुआ था
था समक्ष सबके अपना उद्देश्य स्पष्ट
मिल गई मगर जब आजादी
उद्देश्यहीन हो हमने समय गंवाया जो
मुझको उससे डर लगता है
बढ़ते ही जाते जो जघन्य अपराध
इसी की खातिर क्या आजादी के दीवानों ने
अपने प्राणों की अनगिनती आहुति दी थी?
रचनाकाल : 6 सितंबर 2024

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