पितृसत्तात्मक समाज में


पापा, गलती हो गई
गलती हो गई पापा
माफ कर दो मुझे
मुझसे आपका रोना देखा नहीं जा रहा
कुछ ही देर में पहुंच जाऊंगी उस लोक
जहां से लौट कर कोई नहीं आता
वैसे अब लौट कर आने की
इच्छा भी तो नहीं बची पापा!
यह दुनिया अभी काबिल नहीं हो पाई है
बेटियों के रहने के
आपने तो मुझे बेटे जैसा ही माना पापा
मैं भी कोशिश कर रही थी
बेटे का हक अदा करने की
कोचिंग और स्कूल में पढ़ा कर
घरखर्च में हाथ बटाने की
पढ़ा रही थी छोटे भाई-बहनों को...
पर दुनिया तो मुझे
लड़का नहीं समझ सकती थी न पापा!
नहीं पापा, किसी को भी नहीं दूंगी दोष मैं 
खूब लग रहे हैैं नारे दुनिया में
स्री-पुरुष समानता के
पर हजारों वर्ष की मनोवृत्तियां बदलना
इतना आसान तो नहीं है न पापा!
नहीं पापा, समय नहीं बचा ज्यादा कुछ कहने का
सल्फास की गोलियां खाने के बाद
कहां बचता है ज्यादा देर कोई!
मैं भी जा रही हूं पापा
हो सके तो बस इतनी कोशिश करना
कि बेटों की तरह
सचमुच ही बन सके दुनिया
हम बेटियों के भी रहने लायक
ताकि जन्म लूं जब फिर कभी
तो लेना न पड़े विदा, असमय दुबारा।
रचनाकाल :  11 जून 2021

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