मूल्यांकन


कच्चा रह जाता हूं कई बार
पढ़ने में लोगों के मन की बात
होती हैैं ध्वस्त अक्सर धारणाएं
बनाता जो लोगों के बारे में
रह जाता दंग यह देखकर
कि मेरे दृष्टिकोण से
लगते जो गलत पूरी तरह थे
अपने नजरिये से
सही हैैं वे एकदम।
चाहता हूं इसीलिये छोड़ना
लोगों का मूल्यांकन करना
अपनी सीमित दृष्टि से
ठीक ही कहा है निदा फ़ाज़ली ने
रहते समाये हैैं भीतर
हर एक आदमी में
दस-बीस आदमी
करता हूं भरोसा हर आदमी के
सबसे अच्छे रूप पर
होती है क्षमता जिसके भीतर
दुनिया बदलने की।

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