जिजीविषा
जानता हूं कि जोखिम भरा है इन दिनों कविता लिखना घनघोर चल रही है मौत से लड़ाई और संचित कर सारी शक्तियों को लगाना चाहिए उसी युद्ध में पर कायरता होगी ऐसे समय में छोड़ देना कविता को और संभव भी न हो पाये शायद जीत पाना कविता बिना। मारती ही जा रही है मौत अधिकांश को भय के हथियार से और लड़ सकती है कविता ही सबसे बेहतर विनाश के इस अस्त्र से भर सकती है लोगों को उमंग और उल्लास से। इसीलिए जूझते हुए मौत से लिखता हूं कविता चाहता हूं लोगों के भीतर बढ़ाना जिजीविषा।