जादूगर
मैं जादूगर हूं
जादू दिखाता हूं शब्दों के
रचता हूं दुनिया एक जादुई।
जादू दिखाने के पहले पर
बनना पड़ता है खुद जादू
पार करना पड़ता है
आग के धधकते हुए दरिया को
करना पड़ता है खुद अग्निस्नान
ताकि जल जाय सारा अपशिष्ट
दमक उठे भीतर का सोना
सम्मोहित जो दुनिया को कर पाए।
मैं जादूगर हूं
चाहता हूं रचना ऐसा सम्मोहन
दुनिया भी तैयार हो जाय
करने को अग्निस्नान
दमक उठे सोना सबके भीतर का
दुनिया यह जादू सी बन जाय।
दुनिया यह जादुई बनाने को
खुद को तपाता हूं भट्टी में
करता हूं लोगों को सम्मोहित
खींचता हूं दरिया में आग के।
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