विष भी अमृत बन सकता है

जब छोटे-छोटे पौधे रोपे जाते हैं
तो नयी जगह पर खूब लहलहाते हैं वे
फिर पेड़ उखाड़े जाते हैं
तो नये सिरे से जड़ वे अपनी
नहीं जमा क्यों पाते हैं?
कहते हैं ऐसा वैज्ञानिक
पौधों के भीतर नयी कोशिका बनती हैं
वय ढलती है पर तो वे मरने लगती हैं
तो सचमुच मरने के पहले
क्या धीरे-धीरे मरने हम लग जाते हैं?
हो भले नियम जड़ जीवों की खातिर यह, पर
अपवाद अगर चाहें तो हम बन सकते हैं
जिस विष से सारे जीव-जंतु मर जाते हैं
पीकर उसको शिव नीलकण्ठ कहलाते हैं
अनुकरण नहीं फिर उनका हम क्यों करते हैं?

रचनाकाल : 21 सितंबर 2025

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