अनुशासन का अंकुश
जब सामूहिक दु:ख आता है
तब मिल-जुलकर हम रहते हैं
फिर आम दिनों में ही क्यों
हरदम लड़ते-भिड़ते रहते हैं?
परतंत्र रहे जब देश
भाव तब देशभक्ति का जगता है
मिलते ही आजादी लेकिन क्यों
भ्रष्टाचार पनपता है?
यह सच है जब भी बाढ़ नदी में आती है
तब सांप-नेवले एक पेड़ पर रहते हैं
पर हम मानव भी क्या केवल
दु:ख-कष्टों से ही डरते हैं?
हे ईश्वर, हम इंसानों को
जब सुख देना, तब अनुशासन भी दे देना
पर सीख न पायें अपने अंकुश में रहना
तो देकर दु:ख तुम अपने अंकुश में रखना!
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रचनाकाल : 01 जुलाई 2025
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