सफलता का पैमाना
जब समय चल रहा हो अच्छा
मिट्टी भी छूते ही सोना बन जाती है
पर बुरे समय में विपदाओं की
लाइन सी लग जाती है
शायद कारण है यही बिना मेहनत के भी
कुछ लोग सुखी दिख जाते हैं
कुछ खटते हैं दिन-रात मगर
दु:ख-कष्ट हमेशा पाते हैं।
दरअसल पेड़ कुछ फलीभूत होते जल्दी
कुछ देरी से फलदार मगर बन पाते हैं
ऐसे ही कुछ कर्मों के फल मिल जाते हमें तुरंत
मगर कुछ देरी से मिल पाते हैं।
इसलिये नहीं फल के जरिये
आकलन स्वयं का करता हूं
पैमाना बस यह होता है
मैं कितनी कोशिश करता हूं
होता हूं कभी निराश नहीं
फल चाहे मुझको मिले नहीं
जब लोग समझते हैं असफल
मैं तब भी मेहनत करने पर
अपने को सफल समझता हूं।
रचनाकाल : 4 फरवरी 2025
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