...सदा मगन मन रहना जी
जो लोग किया करते थे तप
दु:ख में भी वे सुख पाते थे
हरदम आनंदित रहते थे
‘आनंद’ शब्द है ऐसा जिसका
होता नहीं विलोम कोई
खुश रहना जिसने सीख लिया हर हालत में
फिर भला उसे क्या चीज दु:खी कर सकती है!
इसलिये धर्म या चाहे किसी बहाने से
जो लोग उठाते कष्ट, तपाते हैं खुद को
मैं नहीं तोड़ता श्रद्धा उनकी
प्रोत्साहित ही करता हूं
दरअसल मानते नहीं किसी ईश्वर को जो
वे स्वेच्छा से दु:ख सहने से कतराते हैं
आनंद इसी कारण पाने से भी वंचित रह जाते हैं।
जब हो जायेगा परम ज्ञान
तब ईश्वर है या नहीं
प्रश्न ही कोई नहीं उठाएगा
लेकिन आती है जब तक नहीं अवस्था वह
मैं सबकी आस्थाओं को पोषित करके उनके जरिये ही
लोगों को कष्ट उठाने को स्वेच्छा से, प्रेरित करता हूं
वे ताकि परे सुख-दु:ख से यह भी जान सकें
‘आनंद’ चीज क्या होती है।
रचनाकाल : 19 फरवरी 2025
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