सहनशक्ति
जब दर्द बहुत बढ़ जाता है
कितनी भी कोशिश करूं, छलक ही जाता है।
है नहीं मुझे एतराज कष्ट-दु:ख सहने में
पर नहीं चाहता लोगों को यह पता चले
सुख लगता है वृक्षों में फल लगने जैसा
इसलिये बांटने में उसको सुख मिलता है
पर दु:ख वृक्षों की जड़ के जैसा लगता है
मिट्टी यदि उसकी हटा, दिखाऊं औरों को
तो खुद को नंगा करने जैसा लगता है।
इसलिये प्रार्थना करता हूं यह ईश्वर से
दु:ख देना भले, मगर सहने की शक्ति साथ में भी देना
गरिमा न ताकि गिरने पाये
फांसी लगने पर होता दर्द बराबर, पर
अपराधी कोई मरने के पहले डर से मर जाता है
पर भगत सिंह के जैसा कोई देशभक्त
हंसते-हंसते फंदे पर चढ़
इतिहास अमर हो जाता है।
रचनाकाल : 5 अक्टूबर 2024
फांसी लगने पर होता दर्द बराबर, पर
अपराधी कोई मरने के पहले डर से मर जाता है
पर भगत सिंह के जैसा कोई देशभक्त
हंसते-हंसते फंदे पर चढ़
इतिहास अमर हो जाता है।
रचनाकाल : 5 अक्टूबर 2024
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