दीप बनने का सौभाग्य
होता जाता है जितना अंधेरा घना
उतनी बढ़तीं दिये की जिम्मेदारियां
हम न बन पायें सूरज भले ही मगर
दीप नन्हा सा तो एक बन सकते हैैं
अपने हिस्से का तम दूर कर सकते हैैं!
सुख बहुत है उजाले में रहने का पर
जब अंधेरा घना हो तो खुद को जला
रौशनी थोड़ी फैलाने का सुख भी होता न कम
कब शिकायत ये करता है कोई दिया
उसको दिन का उजाला नहीं क्यों मिला!
रात हिस्से में होना अगर भाग्य है
सूर्य का अंश बनने का सौभाग्य है
राम पैदा हुए देश में जिस कभी
उसके वासी भी तो उनका ही अंश हैं!
रचनाकाल : 1 नवंबर 2024
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