मजबूत बने बुनियाद

चाहता हूं मैं भी कोई
नया आविष्कार करूं
अपनी मानव जाति का
जीवन आसान करूं
लेकिन डर जाता हूं
देख करके हश्र आविष्कारों का
जितनी ही बढ़ती हैं सुविधाएं
उतना ही प्रदूषण भी बढ़ता है
रहता था समय जितना
पहले कला-सृजन का
उतना भी अब नहीं बचता है।
इसीलिये चाहता हूं
करने से पहले आविष्कारों के
अपनी मानव जाति में
मानवोचित गुणों का विकास करूं
अच्छा इंसान बनें लोग
इसमें मदद करुं
ताकि प्रतिभा का सदुपयोग हो
कि था तो विद्वान बहुत रावण भी
लेकिन नहीं सज्जन इंसान था
इसीलिये उसको जो
मिले वरदान भी
बनके अभिशाप सारे रह गये।
डरता हूं मैं भी कि
शक्ति जो अपार मिली
हमको परमाणु के विखण्डन से
कर दे न दुनिया तबाह बम
इसीलिये साधने को
शक्ति अतुलनीय वह
खुद को मजबूत पहले
गंगाधर शिव सा बनाता हूं
ताकि जब स्वर्ग से
अवतरण हो गंगा का
फोड़ कर वे धरती को
समा नहीं जायें पाताल में।
रचनाकाल : 19-20 सितंबर 2024

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