उल्टी रीत

जब देखा मुझे सुखी
लोगों ने मुझसे पूछा
सुख पाने का राजमार्ग
मैंने जब दु:ख की ओर इशारा किया
उन्होंने अपमानित महसूस किया
यह सोच, उड़ाया है मजाक मैंने उनका।

दरअसल सत्य जब से मैंने यह जाना है
सिक्के के दो पहलू जैसे ही सुख-दु:ख हैं 
दु:ख सहता हूं, सुख मिलता है
कोशिश करता लोगों को भी समझाने की
सम्मान चाहते हो पाना
तो स्वेच्छा से अपमान सभी सह लिया करो
यदि है पसंद स्वच्छता
गंदगी जहां दिखे, वह साफ करो
जो चीज चाहते हो पाना
यदि औरों को वह दोगे तो
तुमको वह खुद मिल जायेगी
पर भागोगे उसके पीछे 
तो दूर चली वह जायेगी।

परछाईं के जो पीछे भागा करते हैं 
कहता उनसे वे भागें उससे दूर
चली वह पीछे-पीछे आयेगी
वे समझ नहीं पाते लेकिन
सुख के पीछे जितना ही भागा करते हैं 
दु:ख उनके पीछे-पीछे भागा करता है।
रचनाकाल : 30 जून 2024

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