अंतरात्मा

कठिन तो न था कोई 
होकर शैतान भी
दुनिया की नजरों में
बने रहना साधु-संत
अपनी ही नजरों से पर
बच नहीं सकता था
इसीलिये बना अच्छा आदमी
करता परवाह नहीं
लोगों की निंदा या प्रशंसा की
कोशिश बस करता हूं
अपनी ही नजरों में
रह सकूं ईमानदार
भीतर अगर न्यायाधीश
बैठा नहीं होता तो
दुनिया में जीना बन पाखण्डी
बेहद आसान था।
रचनाकाल : 27 जुलाई 2024


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