बचपन


बचपन में हमको जब
किस्से सुनाते थे
बड़े-बूढ़े बचपन के
सुनते हम बच्चे तल्लीन हो
हो गये जब बड़े हम
अपने भी बचपन की यादें हमें
करने लगीं मंत्रमुग्ध।
सबके ही साथ शायद
ऐसा ही होता है
बीतता है समय जब तो
यादें सुनहरी होती जाती हैं 
लगता है लौट आते
काश, वे दिन बचपन के!

लेकिन नागासाकी, हिरोशिमा में
बच गये थे बच्चे जो
कैसी रही होंगी उनकी
यादें अपने बचपन की !
हिटलर के कान्सन्ट्रेशन कैम्प से
निकले थे बच्चे-बड़े जिंदा जो
क्यों वे चीख पड़ते थे रातों?
समझ नहीं पाते हैं बच्चे जो
अपने साथ होने वाली
बड़ों की हैवानियत
कैसे कर पायेंगे
याद अपने बचपन को!
बड़े होकर क्या बनेंगे
बच्चे गाजापट्टी, यूक्रेन के?

खोने जब लगता हूं बचपन की
अपनी मधुर यादों में
सहसा ही मुझे ऐसे
बच्चे याद आते हैं
उठता सैलाब मन में पीड़ा का
दिखता है कोई ऐसा बच्चा तो
करता हूं कोशिश उसके
जीवन में रंग मधुर भरने की।
बचपन की यादों का
बनना डरावना
जीवन में सबसे ज्यादा
खतरनाक होता है।
रचनाकाल : 9 जुलाई 2024

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