बेचैनी



कभी-कभी अनजाने में ही
जाने क्यों बेहद बेचैनी होती है
कोशिश करता हूं ढूंढूं, पर
कारण कुछ समझ नहीं आता
भय लगता है अवसादग्रस्त तो
नहीं हो गया कहीं?
मगर जाने से पास चिकित्सक के
भय लगता है
यह लगता है
लेकर यदि दवा मिटा लूंगा
अपने भीतर की बेचैनी
तो जीकर ऐसी दुनिया में निश्चिंत
जहां बेचैन हर कदम पर रहने के कारण हों
खुद को मैं कैसे माफ कभी कर पाऊंगा!
रचनाकाल : 30 मई 2024

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