बदलाव

 
जब रुका हुआ था एक जगह
दुनिया भी मुझको रुकी दिखाई पड़ती थी
फोटो के केवल एक फ्रेम को देख
लगा करता था यह सारी चीजों को जान लिया।
अपनी जड़ता का लेकिन जब कुछ भान हुआ
महसूस हुआ दुनिया तो आगे निकल गई
जो फोटो मैंने अपने मन में खींची थी
वह सच्चाई का मात्र एक टुकड़ा ही थी
मैं भूल गया था दुनिया का
आयाम समय भी होता है
जीवंत बनाता है जो सारी चीजों को
हर चीज बदलती है दुनिया में पल-पल में
फिर कैसे मैं कर सकता हूं फैसला
किसी का बीते पल को देख
कि वैसा ही होगा वह आने वाले पल में भी!
जब से मुझको अहसास हुआ है इस सच का
अब नहीं किसी के बारे में
कोई धारणा बनाता हूं
जो अच्छे हैं, जैसे मैं उनको देख
स्वयं भी अच्छा बन पाने की कोशिश करता हूं
रखता हूं यह विश्वास कि यदि अच्छाई होगी मुझमें तो
जो बुरे अगर होंगे भी तो वे देख मुझे
अच्छा बनने की कोशिश करते जायेंगे
इसलिये चाहता हूं लाना जो दुनिया में बदलाव
उसे अपने ही भीतर लाता हूं
मैं अच्छा बनता हूं, दुनिया भी अच्छी बनती जाती है।
रचनाकाल : 22-24 अप्रैल 2024

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