आप ठगे सुख ऊपजै...
घनघोर परिश्रम करके भी
जब मिलती नहीं सफलता
मन तब भी निराश तो होता है
पर बिना किये कुछ मेहनत ही
हो जाता हूं जब कामयाब
तब ज्यादा ही मन शर्मिंदा हो उठता है
जो मिलता है
महसूस नहीं होता उस पर अधिकार मुझे।
इसलिये प्रार्थना करता हूं यह ईश्वर से
चाहे तो मुझको मेहनत का फल मत देना
पर बिना किसी मेहनत के मुझको
हर्गिज कभी न फल देना
जैसा कि कह गये साल सैकड़ों पहले संत कबीर
कि ‘कबिरा आप ठगाइये, और न ठगिये कोय
आप ठगे सुख ऊपजै, और ठगे दु:ख होय’
मुझे बिन मेहनत का फल जाने किसको
ठगने जैसा लगता है!
रचनाकाल : 9 अप्रैल 2024
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