कसौटी
सुख भरे दिनों में अनायास ही
चेहरे से भी खुशी झलकने लगती है
घनघोर मगर पीड़ा में भी
खुश लोगों को दिख सकूं
चुनौती मुझको यह लेने के लायक लगती है।
वैसे तो मैं ईश्वर से कुछ भी कभी मांगता नहीं
मगर जब मौत खड़ी दीखे कगार पर
इच्छा है तब भी बस इतनी ही करूं प्रार्थना
मेरी इच्छा पूरी करने की बजाय
हे ईश्वर तू अपनी इच्छा पूरी करना।
सुख मिलता मुझको जब भी छप्परफाड़
परम सौभाग्यवान सब मुझे समझने लगते हैं
मैं लेकिन तब बेहद व्याकुल हो जाता हूं
लगता है ईश्वर का यह ऋण किस तरह चुकाऊंगा!
रचनाकाल : 17 अप्रैल 2024
Comments
Post a Comment