धर्म और विज्ञान


मैं चकित बहुत ही होता था
लोगों को करते देख दण्डवत परिक्रमा
या पूरी करते अन्य कष्टप्रद मनौतियां
जो मनोकामना पूरी होने पर करते थे
आस्तिक या श्रद्धालु लोग।
मैं नहीं सहारा लेता था ईश्वर का
पर जब मिले कष्ट घनघोर
मुझे तब सहसा यह महसूस हुआ
ईश्वर के ऊपर रखता जो विश्वास
कष्ट सहने की उसको सचमुच में ही
ताकत मिलती जाती है।
इसलिये मनौती माना करता मैं भी अब
पूरी करवानी होती मनोकामना जब
हफ्ते में व्रत-उपवास एक दिन रखता हूं
आती जब कोई विपदा या आपदा
किसी अपने उसको अपराधों का फल मान
स्वयं को निर्मल करने की अधिकाधिक
कोशिश करने लगता हूं।
है मुझे पता उपवासों का
फल कोई और मिले न मिले
सेहत की खातिर रखना व्रत
हरदम अच्छा ही होता है
चाहे जिस किसी बहाने से
अपने दोषों को दूर अगर हम कर पायें
उससे विकास ही होता है।
इसलिये दृष्टि रखकर भी अपनी वैज्ञानिक
धर्मों की अच्छी बातों को अपनाता हूं
पड़ता हूं नहीं व्यर्थ के वाद-विवादों में
चाहे जिस किसी तरीके से
हो सकता हो खुद का विकास
मैं बिना किसी पूर्वाग्रह के
राहें वह सब अपनाता हूं।
रचनाकाल : 19-20 मार्च 2024

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