भय बिनु होय न प्रीति! - 1


बलहीन व्यक्ति हो अगर अहिंसक भी तो
कायर उसको सभी समझते हैं
इसलिये चाहता हूं मैं सारी चीज सीखना
क्षमता हासिल करना फिर भी जीना सरल तरीके से।

आती थी जब तक नहीं चलानी मुझे कार या बाइक
सबको लगता था मजबूरी में ही
मैं साइकिल चलाता हूं
मैं तो हूं अब भी वही, साइकिल भी है मेरी वही
नजरिया लोगों का पर बदल गया
ले लिया, चलाना सीख गया जब कार
साइकिल का मेरी सम्मान सभी अब करते हैं!

जब तक आती थी नहीं मुझे अंग्रेजी
हिंदी के प्रति मेरा प्रेम सभी को ढोंग सरीखा लगता था
अब भी मैं करता हूं प्रचार वैसा ही अपनी हिंदी का
पर जान गये सब जबसे आती है मुझको अंगरेजी
मेरी हिंदी भी अब उन्हें प्रतिष्ठित लगती है!

है अजब त्रासदी जब तक था विषहीन
मारते थे सब पत्थर मुझे निरापद जान
किसी को डसता तो हूं नहीं अभी भी
लेकिन जब से किया इकट्ठा जहर
सभी अब मेरा आदर करते हैं!
रचनाकाल : 30-31 जनवरी 2024

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