गणतंत्र
मैं जब तक था स्वच्छंद
नहीं अहसास कभी होता था
कितना परेशान होते हैं इससे लोग
मगर जब मुझे पहुंचने लगा कष्ट
कुछ लोगों की मनमानी से
तब अपनी गलती पता चली।
अब नहीं लगाता आजादी का
अर्थ निरंकुश होना
रखता हूं खुद को शासन में
जितनी पराधीनता होती है दुखदायी
उतना बेलगाम होना भी
घातक होता है
अनुशासन में सब रहें तभी
गणतंत्र सभी शासन से उत्तम होता है।
रचनाकाल : 26 जनवरी 2024
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