आपदा में अवसर
देख आपदाएं पहले
मैं अक्सर घबरा जाता था
होता था नष्ट समय चिंता में
तन-मन की ताकत भी घटती जाती थी।
इसलिये सीख ली है मैंने अब कला
कीमियागर को जैसे सोना दिखता लोहे में
अवसर दिखता है मुझको भी हर संकट में
मेहनत करके घनघोर
बदलना भर बाकी रह जाता है।
जितनी होती आपदा बड़ी
उतना ही आता नजर सुअवसर बड़ा
बदलने में जिसको जुट जाता हूं
चिंता के बदले समय बीतता चिंतन में
रहता हूं सदा प्रफुल्लित जिससे
तकलीफें, दु:ख-कष्ट मधुर सब लगते हैं।
होने पर भी सब लक्षण अशुभ अगर शिवशंकर
तप करके घनघोर, जहर पीकर सारा
बन सकते हैं अंतत: शुभंकर दुनिया में
तो हो सकती है भला आपदा ऐसी क्या
जिसको न बदल पा सकते हों हम अवसर में!
रचनाकाल : 5 दिसंबर 2023
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