दु:ख में सुख
जब भी मुझ पर दु:ख आता है
मैं खुद से ज्यादा दु:खी व्यक्ति से
तुलना करने लगता हूं
अपना दु:ख मुझको हल्का लगने लगता है।
सुखी व्यक्ति मैं सब लोगों को लगता हूं
है नहीं किसी को पता
कि मन ही मन में मैं
कितना ज्यादा दु:ख सहता हूं
टूटे चाहे जिस पर भी कष्टों का पहाड़
सहने में होती मेरी भी हिस्सेदारी
बस साथ मात्र होने से मेरे
दु:खी व्यक्ति का दु:ख हल्का हो जाता है
अद्भुत है इससे मेरे भी
व्यक्तिगत दु:खों का कोटा कम हो जाता है।
दुनिया में सबको सुखी दिखाई पड़ता हूं
दुनियाभर का दु:ख सहता हूं
दु:ख लेकिन मुझको सुख जैसा ही लगता है!
रचनाकाल : 10 दिसंबर 2023
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