इंतजार

दुनिया में जारी है रावण का अट्टहास
मायावी वह मौजूद हर जगह है लेकिन
है रूप बदलने में माहिर
जो शस्त्र चलाये जाते हैं उस पर, सारे
करते तबाह निर्दोष सभी इंसानों को
है कहीं राम का पता नहीं
रावण से लड़ने का जो करते हैं दावा
वे भी रावण की तरह दिखाई देते हैं
पुतला तो मैं हर साल जलाता रहा मगर
कद रावण का कैसे बढ़ता ही जाता है?
गहराती जाती रात
लड़ाई भीषण होती जाती है
दिखते हैं रावण ही रावण चहुंओर
न जाने राम नजर कब आयेंगे!
रचनाकाल : 23-24 अक्टूबर 2023

Comments

Popular posts from this blog

गूंगे का गुड़

सम्मान

नये-पुराने का शाश्वत द्वंद्व और सच के रूप अनेक