सरलता
सहज-सरल भाषा में कविता लिख पाना
पहले मुझको कठिन बहुत ही लगता था
मन में जो भी उठते विचार
कागज पर आते-आते उनका भाव बदलने लगता था।
इस कोशिश में ही लेकिन मुझको पता चला
मन ही मेरा है जटिल दरअसल इतना
संभव हो ही पाता नहीं सरल कुछ लिखना
जो छू ले लोगों के दिल को सीधे-सीधे ही!
तब से मैंने सब छोड़ दिये छल-छद्म
सरलता जैसे-जैसे मन में आती गई
सरल कविता भी होती गई
भले वह कर न सके विद्वानों को आकर्षित
जन-मानस को लेकिन भाती है
मुझको भी संगत बुद्धिजीवियों की बजाय
बच्चों या उनके जैसे निश्छल लोगों की रास आती है।
रचनाकाल : 9 सितंबर 2023
पहले मुझको कठिन बहुत ही लगता था
मन में जो भी उठते विचार
कागज पर आते-आते उनका भाव बदलने लगता था।
इस कोशिश में ही लेकिन मुझको पता चला
मन ही मेरा है जटिल दरअसल इतना
संभव हो ही पाता नहीं सरल कुछ लिखना
जो छू ले लोगों के दिल को सीधे-सीधे ही!
तब से मैंने सब छोड़ दिये छल-छद्म
सरलता जैसे-जैसे मन में आती गई
सरल कविता भी होती गई
भले वह कर न सके विद्वानों को आकर्षित
जन-मानस को लेकिन भाती है
मुझको भी संगत बुद्धिजीवियों की बजाय
बच्चों या उनके जैसे निश्छल लोगों की रास आती है।
रचनाकाल : 9 सितंबर 2023
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