जीवन की पाठशाला
पहले मैं बहुत परीक्षाओं से डरता था
चुपके से करके नकल
पास होने की कोशिश करता था
इसलिये रह गया कच्चा कई जगह पर
डरता गया आग से जितना
उतना कचरा भीतर होता गया इकट्ठा
अब भरपाई अपनी गलती की
करने की कोशिश करता हूं
रखता हूं मन पर कड़ी नजर
बचने का खुद को मौका देता नहीं
स्वयं के भीतर मिलती खोट अगर
करता हूं उसको दूर
पाठशाला में जीवन की होता हूं पास
कि सीढ़ी-दर-सीढ़ी ऐसे ही आगे बढ़ता हूं
अनुभव ने दी है सीख
सीखने की कोई सीमा है नहीं जिंदगी में
जब तक हम कुछ भी नया सीखते रहते हैं
तब तक ही खुद को जिंदादिल रख पाते हैं
जिस दिन से हम सीखना बंद कर देते हैं
उस दिन से ही शायद मरने लग जाते हैं!
रचनाकाल : 17 सितंबर 2023
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