मन की शक्ति


मैं नहीं चाहता मन को सीमाबद्ध करूं
यह जितनी चाहे ऊंची भरे उड़ान
अतल सागर के तल तक जाय
मगर जड़ से न कहीं कट जाय
इसलिये यम-नियमों का
प्रतिदिन पालन करता हूं।

मन रहे अगर संस्कारित तो
कर पाता अपनी आजादी का सदुपयोग
वरना होकर यह बेलगाम
कर देता तन को नष्ट-भ्रष्ट
इसलिये नियम-अनुशासन में रखकर इसको
मैं अपना मित्र बनाता हूं
लगते हैं काम असंभव जो
मन की ताकत से उनको भी कर जाता हूं।
रचनाकाल : 7-9 सितंबर 2023

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